
रेलवे ट्रैक की जगह दफ्तरों में ड्यूटी बजा रहे ट्रैकमैनों पर रेलवे बोर्ड की निगाह टिकी है। ट्रैकमैनों को लाइन पर काम के लिए मिलने वाले जोखिम भत्ते में नियमों के उल्लघंन हो रहा है। इसे लेकर रेलवे बोर्ड ने अंकुश लगाने की तैयारी में है। रेलवे के अन्य मंडलों में जारी पत्रों में ट्रैकमेंटेनर को भत्ता लेने का हकदार नहीं माना। तीन साल पहले से लागू हुई इस व्यवस्था को लेकर रेलवे में फिर मंथन हो रहा है।
मुरादाबाद रेल मंडल में इस अव्यवस्था से अछूता नहीं है। लिहाजा बोर्ड के नए आदेश को लेकर रेल मंडल के इंजीनियरिंग विभाग में खासी हलचल मची है।मेरठ में खतौली कांड के बाद से रेलवे में काफी बड़े बदलाव हुए हैं। नए आए चेयरमैन एके लोहानी ने भी संरक्षा से खिलवाड़ को लेकर पाबंदी लगाई। ट्रैक के रखरखाव और जोखिम भरे काम को करने के लिए रेलवे ने ट्रैकमैनों के लिए जोखिम भत्ता मंजूर किया गया। विभाग के अनुसार 7वें पे कमीशन की सिफारिश के बाद बोर्ड ने इस बाबत पत्र निकाला, जिसमें ट्रैकमेंटेनर में काम कर रहे कर्मियों को जोखिम भत्ते के रूप में 2700 रुपये प्रति माह दिए जाने का प्रावधान किया गया।
जुलाई, 2017 से लागू यह योजना आज भी लागू है। हालांकि सेफ्टी के लिहाज से ट्रैक का रखरखाव बेहद अहम माना गया। पर इसे लेकर आपसी सांठगांठ हो गई। असरदारों ने अपने चहेतों को ट्रैक से हटाकर दफ्तर में रखवा दिया। जोखिम भत्ता उन्हें लगातार मिलता रहा। जानकारों की माने तो लंबे समय से भत्ता और अन्य सुविधा पा रहे कर्मियों पर रेलवे बोर्ड की नजरें अब टेढ़ी हो सकती है। कुछ रेलवे जोन के मंडलों में दफ्तरों में काम कर रहे ट्रैकमेन्टेनरों को जोखिम भत्ता दिए जाने पर आपत्ति जताई है।
पूर्व मध्य रेलवे के सोनपुर डिवीजन में नियमों के उल्लंघन पर तत्काल प्रभाव से जोखिम भत्ता जाने करने पर रोक लगाने को कहा गया है। हालांकि, इस बारे में एक मंडल के वरिष्ठ रेल अफसर ने कर्मियों को जोखिम भत्ता नहीं देने के कोई आदेश नहीं देने की बात से इंकार किया है।