
रेलवे अपने माल गोदामों के कायाकल्प के लिए निजी एजेंसियों की मदद लेने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत रेलवे निजी एजेंसियों को अपने राजस्व में हिस्सेदारी देगा। इन गोदामों के कायाकल्प को लेकर निजी एजेंसियां सर्वे करके रेलवे को प्रस्ताव देंगी।
रेलवे के सीपीसी माल गोदाम (गुड्स शेड) में बारिश का पानी कई दिनों तक भरा रहता है। कीचड़ और गंदगी के बीच ट्रकों का आवागमन हादसों को दावत देता है, तो कई जगह से शेड खराब होने के कारण यहां आने वाली सीमेंट अक्सर खराब हो जाती हैैं। इसका खामियाजा व्यापारियों को उठाना पड़ता है। प्रयागराज मंडल ने अपने क्षेत्र में आने वाले ऐसे ही करीब एक दर्जन माल गोदामों की दशा सुधारने के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत बीओटी (बिल्ट, ऑपरेट एंड ट्रांसफर) योजना लागू की है।
इसके तहत कोई भी व्यक्ति, ग्राहक, स्टार्ट अप, एजेंसियां, कंपनियां अथवा संस्थाएं अभिरुचि की अभिव्यक्ति (एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट) के तहत हिस्सा ले सकती हैं। माल गोदाम के विकास और सुधार कार्य की रूपरेखा योजना में शामिल होने वालों को स्वयं तैयार करनी होगी। माल गोदाम में होने वाले विकास के खर्च का अनुमान भी खुद ही लगाना होगा। 11 सितंबर के बाद योजना का हिस्सा बनने की चाह रखने वालों के साथ प्री बिड मीटिंग कर बेहतर प्रस्ताव पर मुहर लगाएगा।
इस तरह राजस्व में साझीदार बनेंगे माल गोदाम में निवेश करने वाले रेलवे से अपने पैसों की वसूली कैसे करेंगे, यह प्रस्ताव भी उन्हें ही देना होगा। जिससे साफ है कि रेलवे निवेश करने वालों को राजस्व में साझीदार बनाएगा हालांकि अभी यह तय नहीं है कि निवेशकों के पैसों की निकासी कैसे होगी। इसके लिए निवेशक माल भाड़े के स्वरूप में परिवर्तन किए बिना किसी नए व्यापार मॉडल को रेलवे के सामने रखने को स्वतंत्र होंगे।
इन बिंदुओं पर सर्वे कर देने होंगे प्रस्ताव
लोडिंग अनलोडिंग प्लेटफार्म, सर्कुलेटिंग एरिया, बिजली की व्यवस्था, श्रमिकों के विश्रामालय, व्यापारियों के बैठने की व्यवस्था, गुड्स शेड से मुख्य सड़क तक संपर्क मार्ग, एनजीटी के मानकों पर आधारित अन्य बुनियादी सुविधाएं।
- प्रयागराज मंडल ने अपने 11 माल गोदामों को विकसित करने के लिए पीपीपी मॉडल के तहत प्रस्ताव मांगे हैं। इसमें पार्टियों को स्वयं ही गोदाम का सर्वे कर बिंदुवार सुधार और खर्च का प्रस्ताव देना होगा। -केशव त्रिपाठी, जनसंपर्क अधिकारी उत्तर मध्य रेलवे