कोरोना महामारी के बीच रेलवे एक बार फिर से अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर हो गया है। हालांकि स्वास्थ्य जांच के नए आदेश के बाद इसका विरोध हो रहा है। रेलवे में लोको पायलट, सहायक लोको पायलट की तरह ही टिकट जांच कर्मचारियों का भी नियमित अंतराल पर स्वास्थ्य जांच अनिवार्य कर दिया गया है।
किनके लिए जरूरी है नियम रेलवे बोर्ड का कहना है कि नियम के अनुसार इस श्रेणी के कर्मचारियों का 45 वर्ष की आयु के बाद स्वास्थ्य जांच जरूरी है, जिसका पालन नहीं किया जा रहा है। रेलवे सतर्कता जांच में भी यह बात सामने आई है और इसे गंभीरता से लिया गया है। वहीं, अब इसमें किसी तरह की लापरवाही स्वीकार्य नहीं होगी।
आदेश का शुरू हुआ विरोध वहीं, ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआइआरएफ), नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन (एनएफआइआर) सहित अन्य कर्मचारी संगठनों ने इस आदेश का विरोध किया है।
इस कारण आदेश से कर्मचारियों में है हड़कंप की स्थिति रेलवे बोर्ड के आदेश से टिकट जांच कर्मचारियों में भी हड़कंप की स्थिति है। उनका कहना है कि पहले कभी भी इस तरह से स्वास्थ्य जांच कराने को नहीं कहा गया है। उन्हें डर है कि स्वास्थ्य जांच के मानकों पर खरा नहीं उतरने की स्थिति में उनका कैडर बदला जा सकता है।
नियमित जांच में होती है इन चीजों की चेकअप यूनियन का कहना है कि ए1 व ए2 श्रेणी में आने लोको पायलट, सहायक लोको पायलट, स्टेशन मास्टर, शंटिंग मास्टर, गार्ड सहित परिचालन से जुड़े अन्य कर्मचारियों का नियमित समय अंतराल के बाद स्वास्थ्य जांच होती है। इसके लिए कर्मचारियों को मंडल या जोनल रेलवे अस्पताल में भेजा जाता है। आंखों की जांच के साथ मधुमेह, रक्तचाप, हृदय रोग की भी जांच होती है। यदि स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी होती है तो छह माह के बाद उसे फिर से बुलाया जाता है।
यह है नियम उनका कहना है कि टिकट जांच कर्मचारी बी-2 श्रेणी में आते हैं। नौकरी में भर्ती होते समय इनके स्वास्थ्य की जांच होती है। बाद में यदि कोई कर्मचारी लंबी छुट्टी पर जाता है या फिर गंभीर रूप से बीमार होता है तब फिर से ड्यूटी पर तैनाती के वक्त स्वास्थ्य की जांच हती है। अब इस तरह से स्वास्थ्य जांच अनिवार्य करने का आदेश जारी करने का कोई औचित्य नहीं है।