
रेलकर्मियों को मल्टी स्किल्ड बनाने के प्रयासों में देरी होने के आसार हैं। रेलकर्मियों के बहु कौशल बनाने के लिए तौर तरीकों को तय करने में अभी समय लगेगा। इसके लिए रेलवे बोर्ड ने आला अधिकारीयों की एक कमेटी का गठन आठ मई को किया था। इसका उद्देश्य रेलकर्मियों को बहु कौशल बनाकर उन्हें रेलवे अन्य विभागों में समायोजित करना था। इतना ही नहीं, कई विभागों का भी अन्य विभागों में काम के आधार पर विलय किया जाना था। इस सम्बन्ध में रेलवे बोर्ड के महानिदेशक कार्मिक आनंद पी. खाती ने बताया कि इस कमेटी का कार्यकाल बढ़ा दिया है।
उल्लेखनीय है कि इन तमाम पहलुयों को ध्यान में रखकर रेलवे बोर्ड ने आठ मई को एक कमेटी का गठन किया। इस कमेटी का कार्यकाल एक महीने निर्धारित किया गया था। कमेटी को रेलवे के विभिन्न विभागों के कैडर की पहचान कर उनका मल्टी स्किल्लिंग, पहचान के बाद मल्टी स्किल्लिंग के लिए प्रशिक्ष्ण कार्यक्रम बनाना, वरिष्ठता के अनुसार विलय होने वाले कैडर का निर्धारण करना, वेतन निर्धारित करना और समायोजित किये जाने वाले कर्मचारियों का चिकित्सा वर्गीकरण करने का टास्क दिया गया था। लेकिन अब इस कमेटी का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है।
कुल मिलाकर कमेटी को रेलवे बोर्ड के साने यह आंकड़ा पेश करना था कि किसी तरह से रेलकर्मियों को विभिन्न विभागों में समायोजित किया अथवा विभागों का विलय किया जाएगा। इससे जहाँ कर्मचारियों की कमी है अथवा मांग है उनको पूरा किया जा सके। इसके लिए अलग से नए कर्मचारियों की भर्ती न करने पड़े अथवा नए पदों का सृजन करने की आवश्यकता न हो। मौजूदा कर्मचारियों को बहु कुशल बनाने का काम प्रशिक्षण के जरिये कर दिया जाये। इस बीच बोर्ड ने पदों के सृजन को लेकर निति की समीक्षा करने का परिपत्र जारी कर दिया है। इसमें सरंक्षा को छोड़कर अगले आदेश तक नए पदों के सृजन पर रोक लगा दी गयी है।
आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्र ने कहा है कि रेलवे में कर्मचारियों के पदों को समाप्त करने का विरोध किया जाएगा। रेलवे बोर्ड का 50 प्रतिशत पदों को समाप्त करने का ताजा आदेश किसी भी मायने में उचित नहीं है। नए पदों को सृजित करने के बजाय उन्हें रोकना भी गलत है। इस बाबत फेडरेशन ने रेलवे बोर्ड को पत्र लिखा है। इसको लेकर रेलवे बोर्ड अध्यक्ष और रेल मंत्री से बातचीत की जाएगी।
उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड की और से सभी जोनल, उत्पादन इकाईयों और अन्य इकाईयों के महाप्रबंधकों को कर्मचारियों के 50 प्रतिशत पद समाप्त करने का आदेश गलत है। रेलवे में जब भी किसी पद का सृजन होता है तो उसके कई अहम कारण होते हैं। गहन चर्चा और सार्थक तर्कों के बाद ही पद सृजित किये जाते हैं। उन्हें एक झटके में समाप्त नहीं किया जा सकता। ऐसा नहीं है कि यह पद समाप्त होने की बाद रेलवे के काम कराने के लिय कर्मचारियों की जरूरत नहीं होगी। उस काम को कराने के लिए रेलवे को आउटसोर्सिंग करना पडता है।