
रेल कर्मचारियों को घर वापसी की चाह इतनी रही कि वह सीनियर से जूनियर कर्मचारी बनने को भी तैयार हो गए। रेल कर्मचारियों के आवेदन पर रेलवे ने सीनियर लोको पायलटों को पदावनत करते हुए तबादले पर स्वीकृति दे दी। परंतु लॉकडाउन के कारण यह कर्मचारी तीन माह बाद रिलीव हो पा रहे हैं। शनिवार को बीना डिपो से 11 लोको पायलटों को मंडल मुख्यालय के लिए रिलीव किया गया, यहां से वह झांसी मंडल यानि अपने घरों के नजदीक पहुंच जाएंगे।
शिक्षा के बाद हर युवा की चाहत होती है कि वह अच्छी नौकरी पर लग जाए। नौकरी लगने के बाद जैसे तैसे प्रोवीजन पीरियड पूरा होता है और उसके बाद कोशिश होती है कि नौकरी में रहते उसका तबादला अपने घर के नजदीक हो जाए। इसके लिए यदि सीनियर रैंक से जूनियर पोस्ट पर भी जाना पड़े तो यह कर्मचारी स्वीकार कर लेते हैं।
ऐसे ही बीना डिपो में पदस्थ 11 लोको पायलटों ने घर वापसी की शर्त पर जूनियर रैंक को अपना लिया। लोको पायलटों के आवेदन पर उनके तबादला आदेश मार्च 2020 को हो गए थे। लेकिन लॉकडाउन के कारण रिलीविंग प्रोसेस नहीं हो पाई। अब जबकि लॉकडाउन में ढील मिली, डिपो इंचार्ज द्वारा इन लोको पायलटों को मंडल मुख्यालय के लिए रिलीव कर दिया गया है। मंडल मुख्यालय से वह झांसी मंडल के लिए चले जाएंगे।
यह लोको पायलट हुए पदावनत अरुण शर्मा गुड्स लोको पायलट थे, अब यह सहायक लोको पायलट बनकर घर के नजदीक जा रहे हैं। इसी तरह प्रशांत कुमार वरिष्ठ सहायक लोको पायलट से सहायक लोको पायलट लेवल 2 पर स्थानांतरित हो रहे हैं। राहुल अग्रवाल, संदीप झा, रियाज शेख, हेमंत कुमार केवट, शैलेंद्र कुमार झा भी वरिष्ठ सहायक लोको पायलट से सहायक लोको पायलट लेवल 2 पर स्थानांतरित होकर घर जा रहे हैं। इनके अतिरिक्त दीपक कुमार साहू लोको पायलट से सहायक लोको पायलट, महीप सिंह सहायक लोको पायलट, संजय खरे भी सहायक लोको पायलट होकर रिलीव हुए हैं।
आठ से दस साल में हो पाता है प्रमोशन रेलवे में कर्मचारियों का प्रमोशन आठ से दस साल में हो पाता है। प्रमोशन पर उन्हें मेडिकल, यात्रा भत्ता, कोचिंग भत्ता, आवास भत्ता सहित तमाम प्रकार की सुविधाएं मिलती हैं। जो वेतन के समान ही लाभ देती हैं, लेकिन डिमोशन यानि पदावनत होने पर नौकरी नए सिरे से शुरू होती है। वेतन भी नौकरी की शुरूआत जैसा मिलता है।
नौकरी का सुख परिवार के साथ होता है नौकरी से जीवन यापन की सुविधाएं तो मिलती हैं लेकिन सुख परिवार के साथ ही मिलता है। नौकरी की शुरूआत में एक उत्साह होता है इसलिए अहसास नहीं होता, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है परिवार की, दोस्तों की कमी खलने लगती है। इसलिए कर्मचारी कोशिश करता है कि घर के आसपास नौकरी करने का मौका मिल जाए। अन्यथा वह तनावग्रसित हो जाता है।
सूरज सिंह सकवार, सेवानिवृत्त वरिष्ठ लोको पायलट – 2006 एसजीआर 144 बीना। बीना रेलवे स्टेशन।