मोदी सरकार गरीबों के लिए 10 प्रतिशत का आरक्षण का बिल तो ले आई लेकिन विपक्ष इस बात को लेकर हमलावर है कि देश में रोजगार देने में सरकार फेल है। विपक्ष का कहना है कि देश में लगातार बेरोजगारी बढ़ रही है। सवाल है कि क्या सरकार ने रिक्तियों को भरने के प्रयास किए हैं? भारतीय रेलवे दुनिया में सबसे बड़े रोजगार देने वालों में से एक है लेकिन पर्याप्त रोजगार देने के मामले में यह भी कमजोर नजर आई। यह बात एक आरटीआई के जवाब में सामने आई है।
RTI में पूछे गए सवाल के जवाब में रेलवे ने पिछले दशक में लोगों के रिटायर होने और नई नियुक्तियों के जो आंकड़े बताए, वे काफी निराशाजनक हैं। इसमें बताया गया है कि 2008 से 2018 तक जितने लोग रिटायर होते थे उनसे कम ही लोगों को रोजगार दिया जाता था। इसी वजह से आज रेलवे में करीब 3 लाख पद खाली हैं।
वर्ष | रिटायरमेंट | नियुक्तियां |
2007-08 | 42,149 | — |
2008-09 | 40,290 | 13,870 |
2009-10 | 41,372 | 11,825 |
2010-11 | 43,251 | 5,913 |
2011-12 | 44,360 | 23,292 |
2012-13 | 68,728 | 28,467 |
2013-14 | 60,754 | 31,805 |
2014-15 | 59,960 | 15,191 |
2015-16 | 53,654 | 27,995 |
2016-17 | 58,373 | 19,587 |
2017-18 | — | 19,100 |
साल 2016-17 में रेलवे में कुल 13,08,323 कर्मचारी थे वहीं आठ साल पहले 2008-09 में 13,86,011 कर्मचारी थे। यानी 8 साल में 77,688 कर्मचारी कम हो गए। रेलवे के मुताबिक जनवरी 2018 में ग्रुप सी और डी के 2,66,790 जगहें खाली थीं। इनमें ग्रुप A और B की रिक्तियां शामिल नहीं हैं। आम चुनाव के पास आने पर सरकार ने पिछले साल ग्रुप C और D के लिए 1.2 लाख जगहें निकालीं। यह भर्ती प्रक्रिया इस साल पूरी की जाएगी। लेकिन ये भर्तियां रेलवे में खाली पदों की आधी भी नहीं हैं।