केंद्र सरकार अपने केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में बदलाव के चलते 1 अप्रैल 2019 से प्रमोशन का तरीका आसान व सरल बनाने में लगी है। इससे कर्मचारियों की प्रमोशन के साथ-साथ पक्षपात होने की शिकायत भी खत्म होगी। उन्हें जल्दी और पारदर्शी प्रमोशन भी मिलेगा। प्रमोशन में यह बदलाव 7वेंतन आयोग की सिफारिशों के तहत होगा। इसके साथ-साथ पब्लिक फीडबैक और रेटिंग को तरजीह दी जाएगी। पब्लिक फीडबैक का अर्थ है जो कर्मचारी डोमेन( नगर निगम, ट्रेजरी ,डेवलपमेंट अथॉरिटी, स्कूल-कॉलेज , बिजली दफ्तर आदि दफ्तरों के कर्मचारी) में काम करते है उन्हें जनता से आए दिन मिलना पड़ता है। इसमें जनता के प्रति उनका व्यवहार कैसा है। जनता की समस्या कैसे निपटाते है। इसी आधार पर जनता का फीडबैक लिया जाएगा।
सू्त्रों का कहना है कि सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग ने ग्रेडिंग सिस्टम तैयार कर लिया है। इस संबंध में प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास है प्रस्ताव की खास बात है कि प्रमोशन में 80% वेटेज पब्लिक फीडबैक को दिया जाएगा। इससे सरकारी कर्मचारियों के बर्ताव के साथ-साथ कामकाज में सुधार होगा। जनता से लिए गया फीडबैक डोमेन में भी रहेगा। इसी के आधार पर उनकी सैलरी बढ़ेगी और प्रमोशन भी दिया जाएगा। ‘जी बिजनेस’ की खबर के अनुसार केंद्रीय कर्मचारियों को 7वां वेतन आयोग साल 2016 से मिल रहा है। आयोग ने यह भी सिफारिश की थी कर्मचारियों के प्रमोशन में जनता की भी भागीदारी होनी चाहिए।
जनता के फीडबैक के आधार पर कर्मचारीयों को प्रमोशन दिया जाएगा। पैनल ने इसके लिए माडिफाइड एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन प्रोसेस को बदलाव के लिए कहा था। केंद्र सरकार ने उस समय इसे लागू नहीं किया था। अब 2019 में इसके लागू होने की उम्मीद है। कर्मचारियों की शिकायत रहती थी कि प्रमोशन में धांधली होती है। अफसर अपने चहेतो का नाम ही प्रमोशन के लिए भेजते है। अब कर्मचारियों की यह शिकायत दूर हो जाएगी। 7वें वेतन आयोग ने यह भी प्रस्ताव किया था कि कोई भी कर्मचारी एमएसीपी या नौकरी के पहले 20 साल में मिलने वाले प्रमोशन के योग नहीं है। उसका कामकाज़ भी ठीक नहीं है तो उसका प्रमोशन रोक दिया जाएगा।