भारत के अलावा इंडोनेशिया, ताइवान, और दक्षिण कोरिया जैसे एशियाई देशों में भी हाईस्पीड रेल नेटवर्क पर काम चल रहा है। .
भारतीय उप महाद्वीप में भारत पहला देश होगा जहां सेमी हाईस्पीड वाली ट्रेनें रफ्तार भरेंगी। पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका के मुकाबले भारतीय रेल का नेटवर्क तकनीक के मामले में काफी आगे है। .
‘वर्तमान ट्रैक सेमी हाईस्पीड के इंजन दौड़ाने के लिए तैयार नहीं हैं। प्रमुख ट्रैक को अपग्रेड किया जा रहा है।.
’20 हजार करोड़ खर्च किए जा रहे हैं दिल्ली-हावड़ा व दिल्ली-मुंबई रूट को सेमी हाई स्पीड बनाने के लिए।.
‘2020 तक सेमी हाईस्पीड के लायक हो जाएंगे दो प्रमुख रेल मार्ग, 09 प्रमुख रेलमार्ग को देश में सेमी हाईस्पीड किए जाने की योजना है।.
‘1995 में जर्मनी से डब्ल्यूएपी-5 मॉडल के 10 इंजन खरीदे थे। इन इंजनों की अधिकतम रफ्तार 160 किलोमीटर प्रतिघंटा थी।.
‘2000 में सीएलडब्लू में डब्लूएपी-5 मॉडल का निर्माण शुरू किया गया। .
’95 लोको डब्लूएपी -5 के अब तक बनाए जा चुके हैं।.
’75 प्रमुख यात्री गाड़ियां दौड़ती हैं डब्लूएपी-5 से, यह देश का सबसे तेज गति का इंजन है।.
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‘131 इलेक्ट्रिकल इंजन बनाने की योजना है। .
‘160 किलोमीटर प्रतिघंटा अधिकतम स्पीड है वर्तमान में पुराने लोकोमोटिव की। .
’15 फीसदी तक बढ़ेगी ट्रेन की औसत रफ्तार इस बदलाव से।.
’07 फीसदी ऊर्जा की बचत होगी इस इंजन से। .
‘ तेज गति में भी झटके नहीं लगेंगे।.
‘तकनीक में बदलाव से इंजन का पिकअप बढ़ेगा, ब्रेक सिस्टम तेज होगा।.
‘इंजन को एयरोडायनिमक बनाने के साथ ट्रैक्शन मोटर व्हील बदले गए।.
सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने की दिशा में कदम आगे बढ़ते हुए रेलवे ने 200 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पर दौड़ने वाला पहला एयरोडायनामिक लोकोमोटिव को बना लिया है। ऐसा पहला इंजन भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस में लगाया जाएगा।.
में डब्ल्यूएपी-5 यात्री इंजन की रफ्तार 200 किलोमीटर प्रतिघंटा बढ़ाने का काम चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स ने शुरू किया था।.
से बन रहे इस लोकोमोटिव में तकनीकी सुधार कर इसकी गति बढ़ाई गई है।.
लोकोमोटिव की 200 किलोमीटर तक स्पीड बढ़ाने पर सीएलडब्लू में काम चल रहा है।