जिस वर्ष मिलेगा एलटीसी, उस वर्ष यात्रा सुविधा पास नहींयात्रा सुविधा पास बंद होने की स्थिति में सहमति के आसार नहीं
रेलवे में खर्चो में कटौती के लिए निरंतर वैिक कसा जा रहा है। खर्चे घटाने के लिए तरह-तरह के उपक्रम किए जा रहे हैं ताकि रेलवे के राजस्व में इजाफा हो सके। इसी क्रम में रेलकर्मियों के यात्रा सुविधा पास पर कैंची चलने वाली है। अभी तो केंद्र सरकार से रेल मंत्रालय को एक प्रस्ताव मिला है कि हर चौथे वर्ष रेलकर्मी एलटीसी की सुविधा ले सकते हैं। लेकिन जिस वर्ष रेलकर्मी एलटीसी की सुविधा लेंगे, उस वर्ष उन्हें मुफ्त यात्रा सुविधा पास से वंचित रहना पड़ेगा।
हालांकि इस प्रस्ताव पर रेलकर्मियों की सहमति नहीं होने वाली है, क्योंकि मुफ्त सुविधा पास पर रेलकर्मी और उनके परिवार के सदस्य वर्षभर रेलयात्रा करते हैं। केंद्र सरकार के कार्मिक, पेंशन एवं प्रशिक्षण (डीओपीटी) विभाग ने रेल मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव में मुख्य रूप से यह कहा गया है कि हर चौथे वर्ष रेलकर्मियों को एलटीसी की सुविधा दी जा सकती है। एलटीसी की यह सुविधा उनके गृह नगर (जहां के मूल रूप से वाले हैं) के लिए नहीं होगी। साथ ही जिस वर्ष उन्हें एलटीसी की सुविधा मिलेगी, उस वर्ष उन्हें रेलवे की ओर से दिए जाने वाला मुफ्त यात्रा सुविधा पास नहीं मिलेगा। इस प्रस्ताव से संबंधित सिफारिश सातवें वेतन आयोग ने भी की थी।
अब इस प्रस्ताव को कार्मिक, पेंशन एवं प्रशिक्षण मंत्रालय ने भी आगे बढ़ाते हुए रेल मंत्रालय को भेजा है। कार्मिक मंत्रालय ने रेल मंत्रालय से इस संबंध में सुझाव मांगे हैं। इस संबंध में ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्र का कहना है कि बाकी केंद्रीय कर्मचारियों से रेलकर्मियों की स्थितियां भिन्न हैं। रेलकर्मियों और उनके परिवार के सदस्यों को वर्षभर में तीन नि:शुल्क यात्रा पास की सुविधा मिलती है। इसके सहारे रेलकर्मी और उनका परिवार वर्षभर यात्रा करने का हकदार होता है। यदि केवल वर्ष में एक बार एलटीसी के लिए पूरे वर्षभर यात्रा सुविधा पास समाप्त किया जाता है तो यह रेलकर्मियों के हित में नहीं होगा। रेलवे में यह सुविधा शुरू से चली आ रही है।
उन्होंने कहा कि हालांकि अभी यह प्रस्ताव कार्मिक विभाग ने रेल मंत्रालय को भेजा है और रेल फेडरेशनों से बातचीत नहीं हुई हैं। उनका कहना है कि भारतीय रेलवे में 13 लाख से अधिक कर्मचारी हैं और उनके परिवारजनों की संख्या जोड़ लें तो यह कम से कम 50 लाख लोगों की संख्या होती है। लिहाजा 50 लाख लोगों की सुविधा समाप्त करने पर सहमति मुश्किल है। यह प्रस्ताव परम्परा और सुविधा को समाप्त करने वाला है।
Source:- Rashtriye Sahara